सुंदरपुर नाम के एक छोटे से गाँव में एक पुराना कुआँ था जिसका इस्तेमाल दशकों से कोई नहीं करता था। गाँव वालों का मानना था कि यह कुआँ श्रापित है क्योंकि जो भी इसका पानी पीता था, बीमार पड़ जाता था। एक दिन, एक छोटे लड़के रोहन ने गलती से अपना खिलौना कुएँ में गिरा दिया। उसे वापस पाने के लिए, उसने रस्सी की मदद से कुएँ में उतरने का फैसला किया। वहाँ उसे अपना खिलौना तो मिला ही, साथ ही एक खजाने का संदूक भी मिला जो सोने के सिक्कों और प्राचीन वस्तुओं से भरा हुआ था।

गाँव वाले हैरान रह गए! उन्हें एहसास हुआ कि कुआँ श्रापित नहीं था, बल्कि एक रहस्य की रक्षा कर रहा था। यह खजाना एक राजा का था जिसने इसे सदियों पहले छुपा दिया था। गाँव वालों ने इस खजाने का इस्तेमाल स्कूल, अस्पताल और बेहतर सड़कें बनाने के लिए किया। रोहन गाँव का हीरो बन गया, और कुआँ सुंदरपुर के लिए आशा और समृद्धि का प्रतीक बन गया।

सुंदरपुर नाम के एक छोटे से गाँव में, एक पुराना कुआँ था जिसका इस्तेमाल दशकों से कोई नहीं करता था। गाँव वालों का मानना था कि यह कुआँ श्रापित है क्योंकि जो भी इसका पानी पीता था, बीमार पड़ जाता था।

एक दिन, एक छोटे लड़के रोहन ने गलती से अपना खिलौना कुएँ में गिरा दिया। उसे वापस पाने के लिए, उसने रस्सी की मदद से कुएँ में उतरने का फैसला किया।

वहाँ उसे अपना खिलौना तो मिला ही, साथ ही एक खजाने का संदूक भी मिला जो सोने के सिक्कों और प्राचीन वस्तुओं से भरा हुआ था।

गाँव वाले हैरान रह गए! उन्हें एहसास हुआ कि कुआँ श्रापित नहीं था, बल्कि एक रहस्य की रक्षा कर रहा था। यह खजाना एक राजा का था जिसने इसे सदियों पहले छुपा दिया था। गाँव वालों ने इस खजाने का इस्तेमाल स्कूल, अस्पताल और बेहतर सड़कें बनाने के लिए किया। रोहन गाँव का हीरो बन गया, और कुआँ सुंदरपुर के लिए आशा और समृद्धि का प्रतीक बन गया।